वर्ल्ड रिकॉर्ड मेकर या कॉरियोग्राफर या गुरु या समाजसेवी या चुनौतियों को चुनौती देने वाली 21वीं सदी की योद्धा!
एक व्यक्ति और अनेक व्यक्तित्व की धनी, शिल्पा गणात्रा। आप कल्पना ना कर सकें वैसे कारनामे हुलाहूप संग करवाने वाली, अपने शिष्य को शिखर छूता देखने का स्वप्न पूरा करने की जद्दोजहद में दिन रात सूरज से आँखें मिलाकर अंततः एक बार फिर से अनोखा विश्व कीर्तिमान जीतने वाली शिल्पा जी ने एक नहीं, दो नहीं, चार नहीं, चालीस से ज़्यादा बच्चों को इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बना दिया, 27 अप्रैल 2024, शनिवार को मुंबई में कांदिवली के कंट्री क्लब में।
वैसे इससे पहले भी शिल्पा जी के मार्गदर्शन में करीबन अस्सी बच्चों ने एक ही दिन, एक ही समय पर एकसाथ हुलाहूप करके एक विश्व कीर्तिमान यानि कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, परंतु इस बार शिल्पा ने अपने आप को एक अनोखी, अद्वितीय, अद्भुत चुनौती दे डाली। हुलाहूप करते हुए विभिन्न गतिविधियाँ करना। जी हाँ, हुलाहूप करते हुए, संतुलन बनाए रखते हुए उसी के साथ साथ कोई और कार्य भी पूरा करना। न केवल पूरा करना परंतु सीमित अवधि में सफलता पूर्वक पूरा करना। है ना रोमांच से भरपूर चुनौती!
तो पहले देखते हैं इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी और पारखी कौन-कौन थे? इस अनोखे, अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय विश्वकीर्तिमान कार्यक्रम का नाम था “हुलाहूप न्यूरोचैम्पियनशिप वर्ल्ड रिकॉर्ड”, जिसको सोचा, सींचा और साकार किया मुंबई की जानी-मानी कॉरियोग्राफर और गुरु, यूथज़ोन डांस अकैडमी की शिल्पा गणात्रा जी ने, और जिसमें मुख्य सहयोगी भागीदार थे “कला वृंद” और ब्रेन राइम।
इस कार्यक्रम के मुख्य पारखी यानि जूरी थे हीना लिम्बाचिया जी और ज़ेनोबिया खोदाईजी उर्फ बा। विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए थे बीना शाह जी और रिद्धि दोषी पटेल जी। हुलाहूप का यह महोत्सव संपन्न हुआ मुंबई में कांदिवली के कंट्री क्लब में, शनिवार, 27 अप्रैल 2024 के दिन सुबह 11 से 1 बजे के मध्य। इसके पश्चात स्वादिष्ट भोजन के बाद अतिथियों और सभी को विदा किया गया। मीडिया सहयोगियों और ब्राइट एडवर्टाइजिंग के वीपी मनोज चावला जी को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
यह कीर्तिमान वैसे भी आसान नहीं था क्योंकि इस कीर्तिमान का हिस्सा होने के लिए भी सभी बच्चों को अपनी योग्यता साबित करने के लिए परीक्षा को पार करना पड़ा, उसके बाद ही इसमें भाग ले पाएँ।
बच्चों ने पूरी एकाग्रता, कुशलता के साथ हुलाहूप के साथ अपना प्रदर्शन किया। ये चुनौतियाँ जितनी रोमांचक लगती हैं उतनी आसान तो बिलकुल नहीं थीं। हुलाहूप करते हुए, यानि कि एक गोल से घेरे को अपनी कमर के इर्द-गिर्द लगातार घुमाते रहना ताकि वह नीचे ना गिर जाए। अब अगर इसको घुमाते हुए आपको कुछ और भी करने के लिए कहा जाए तो? जैसे हुलाहूप करते हुए मिट्टी का खिलौना बनाना या हुलाहूप करते हुए गणित के सवाल को हल करना या स्केटिंग करते हुए हुलाहूप करना या हुलाहूप करते हुए सिर पर कलश का संतुलन बनाए रखना या हुलाहूप करते हुए मुँह में चम्मच रखकर उसमें नींबू का संतुलन बनाना या थाली के किनारों पर खड़े रखकर हुलाहूप करना या ग्लास या मटके पर खड़े होकर हुलाहूप करना या… ऐसे कितने ही अनोखे “या” हमने देखे और अनुभव किए और छोटे-छोटे बच्चों को ये सब बड़ी आसानी से करते हुए देखना किसी सपने से कम नहीं था।
इस पर भी हमारे नियम के पक्के पारखी, उन्होंने एक-एक बच्चे की गतिविधि को बारीकी से जाँचा और पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही इस कीर्तिमान की जीतने की घोषणा की।
इस कार्यक्रम का पल पल का समाचार और विस्तृत विवरण आप तक पहुँचाने में सहयोग दिया हमारे मीडिया मित्रों; जन्मभूमि, बिज़नस समाचार, हमारा मुलुंड और न्यूज़ और चाय ने।