General Dalbir Singh Suhag with General Bipin Rawat | Image Source: Wikipedia
तमिलनाडु के कन्नूर में वायुसेना के हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 11 अन्य लोगों का निधन हो गया है। सीडीएस बिपिन रावत सेना के Mi-17V5 हेलिकॉप्टर कोयंबटूर के सुलूर एयरबेस से वेलिंगटन की ओर जा रहे थे, जहां कॉलेज के एक कार्यक्रम में उन्हें हिस्सा लेना था। हेलिकॉप्टर सुलूर से वेलिंगटन की ओर जाते समय कुन्नूर में क्रैश हुआ। सीडीएस बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर नीलगिरी के जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हुआ, इस इलाके को टी एस्टेट भी कहा जाता है। वायुसेना के हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जनरल रावत को घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। वायुसेना ने ट्वीट करते हुऐ इस बात की पुष्टि की है। वायुसेना की जानकारी के अनुसार 14 में से 13 लोगों की मौत हो चुकी है और ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का अस्पताल में इलाज चल रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि दुर्घटना कोहरे की स्थिति के चलते साफ न दिखाई देने के कारण हुई है। वायुसेना ने कहा कि हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
जिस हेलिकॉप्टर में जनरल रावत सवार थे वह हेलीकॉप्टर एमआई सीरीज का था। Mi-17V5 हेलिकॉप्टर में दो इंजन होते हैं और इसे वीआईपी चॉपर कहा जाता है। काफी लंबे समय से वायुसेना इसका इस्तेमाल करती आई है। यदि कहीं हवाई पट्टी की सुविधा उपलब्ध नहीं होती तो वहां पर वीआईपी मूवमेंट इसी हेलीकॉप्टर के जरिए होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई नेताओं और अभिनेताओं ने जनरल रावत के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विट करते हुए कहा “तमिलनाडु में हेलिकॉप्टर दुर्घटना से मैं बहुत दुखी हूं, जिसमें हमने जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के अन्य कर्मियों को खो दिया है। उन्होंने अत्यंत परिश्रम के साथ भारत की सेवा की। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।
जहां जनरल रावत के निधन पर पूरा देश शोक व्यक्त कर रहा हैं वहीं सेवानिवृत्त सेना अधिकारी कर्नल बलजीत बख्शी ने संवेदनहीनता भरा ट्वीट किया जिसमे उन्होंने कहा, “कर्म का लोगों से निपटने का अपना तरीका है।” हालांकि लोगों की कड़ी निंदा के बाद उन्होंने अपने अकाउंट से ट्वीट को डिलीट कर दिया।
इतिहास:
चीफ डिफेंस ऑफ़ स्टाफ विपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौरी गढ़वाल जिले में हुआ था। लम्बे समय तक फ़ौज में रहने के दौरान जनरल रावत को सेना के प्रमुख सम्मानों से सम्मानित किया गया था। 16 दिसंबर 1978, में जनरल रावत पहली बार मिजोरम के 11वीं गोरखा रायफल की 5वीं बटालियन में कमीशन पर शामिल हुए थे।
जनरल रावत के पिता भी इस यूनिट का हिस्सा थे। उन्होंने अपने पिता से युद्धनीति सीखी, जिनका आगे जंग में उन्होंने भरपूर इस्तेमाल किया। भारत-चीन युद्ध के दौरान जनरल रावत ने मोर्चा संभाला था। इस दौरान उन्होंने नार्थ ईस्ट फ्रॉन्टियर एजेंसी बटालियन की कमान संभाली थी। इसके अलावा उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की। चीन से जंग के दौरान भी जनरल रावत ने बहादुरी का परिचय दिया था। वर्ष 1962 में मैकमोहन रेखा पर गतिरोध को लेकर जनरल रावत ने पहली बार चीन से लोहा लिया और बहादुरी से उन्हें रोके रखा। जम्मू-कश्मीर में शांति कायम करने के लिए उन्होंने एक कंपनी की कमान संभाली और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अलावा पूर्वी सेक्टर पर पांचवीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान भी उन्होंने संभाली थी। 1 सितंबर, 2016 को जनरल रावत ने सेना के उप-प्रमुख का पद संभाला और 31 दिसंबर 2016 को सेना चीफ का पद पर अधिकृत थे। उनकी कार्य कुशलता और अनुभव को देखते हुए भारत सरकार ने 1 जनवरी 2020 में जनरल रावत को तीनों सेना का प्रमुख यानी चीफ डिफेन्स ऑफ़ स्टाफ बनाया।
सेना में रहते हुए उन्हें अब तक परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया।
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